Anju Dixit

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आक्रोश जरूरी है,

जहां झुके सम्मान वहां थोड़ा सा आक्रोश जरूरी है
   समझौता न करो अना से, थोड़ा सा रोष जरूरी है।

  जब बड़ जाएं गम के बादल तो एक तरीका बचने का,
एक जाम लेकर हो जाना मदहोश जरूरी है।

जब चलते चलते बड़ जाएं थकन कदमो की,
तब होना घर में एक सुकून भरा आगोश जरूरी है।

हर वक्त सही हैं हम यह बिल्कुल नही बाजिब,
कभी कभी अपनी गलती पर अफसोस जरूरी है।।

जब सभा लगी हो जाहिलों की तेरा बस न चले,
तब हो जाना खामोश जरूरी हैं।


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1 Comments

🤫

14-Nov-2021 03:36 PM

सही कहा...👌

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